
भैरूंदा- होली से एक सप्ताह पहले विशेष कर पश्चिम मध्यप्रदेश में आदिवासी क्षेत्रों में लगने वाले हाट बाजार को ही भगोरिया हाट के नाम से जाना जाता है। ये हाट सामान्यत: आदिवासियों का त्यौहार होता है। यानी कि होली से पहले जो हाट बाजार लगता है, उसमें होली के त्यौहार के लिए पूजन सामग्री खरीदने बड़ी संख्या में लोग आते हैं, ओर खूब खरीददारी करते हैं। इसलिए इसको त्यौहारिया हाट भी बोला जाता है।
आदिवासी नृत्य
भगोरिया की शुरूआत दो भील राजाओं कासूमार औऱ बालून ने अपनी राजधानी भगोर में मेले का आयोजन करना शुरू किया। धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया, जिससे हाट और मेलों को भगोरिया कहने का चलन बन गया।
वही बुधनी के भैरूंदा क्षेत्र के ग्राम लाड़कुई में भगोरिया हाट का आयोजन किया, जिसमे भील आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या मे पहुंचे ओर ढोल मांदल के साथ डीजे की धुन पर जमकर थिरकते नजर आए। इस अवसर पर पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रवि मालवीय, मंडल अध्यक्ष पवन मीना, पूर्व जनपद सदस्य अखलाक खाॅ, के साथ भाजपा कार्यकर्ता व पदाधिकारीगण द्वारा जुलूस पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।
श्रीमती निर्मला बारेला, आ.वि.नि.अ.म.प्र.शासन
प्रेम सिंह बारेला, निवासी कोसमी
भबरसिंह सोलंकी,
