
सीहोर- भारत विविध धर्मों, सम्प्रदायों एव विविध संस्कृति और परंपराओं का देश है। सभी धर्मों-संप्रदायों के अपने त्योहार और उनका अपना विशेष धार्मिक महत्व है। अनेक पर्वों की भांति गुड़ी पड़वा का भी विशेष महत्व है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है। गुड़ी का अर्थ है ध्वज अर्थात झंडा और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। इस पर्व से चैत्र नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। साथ ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विक्रम संवत नववर्ष की शुरुआत होती है।

गुड़ी पड़वा को भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उगादी, कर्नाटक में युगादि, और तमिलनाडु में पुथांडु आदि नामों से भी जाना जाता है।
- महाराष्ट्र: गुड़ी पड़वा
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: उगादी
- कर्नाटक: युगादि
- तमिलनाडु: पुथांडु
- गोवा और केरल: संवत्सर पड़वा
- कश्मीर: नवरेह
- सिंधी समुदाय: चेटी चंद
पौराणिक कथाओं में इसे रावण पर भगवान राम की जीत, और उनके 14 वर्ष के वनवास के बाद उनके राज्याभिषेक की खुशी में मनाया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि गुड़ी पड़वा वाले दिन ही ब्रह्माण्ड की रचना हुई थी। इस त्यौहार पर लोग अपने घरों में सजाते हैं और नव वर्ष के प्रारंभ से नयी शुरूआत करते हैं। लोग अपने घरों के बाहर गुड़ी लगाकर सुख समृद्धि, धन, यश और सौभाग्य को आमंत्रित करते हैं।
