मंदिर-मस्जिदों में माईक – शादियों में बजाए जा रहे डीजे- खुलेआम किया जा रहा मांस का विक्रय…
05 फरवरी से कक्षा 10वीं और 06 फरवरी से कक्षा 12वीं की परीक्षाएं हो रही प्रारंभ, गार्डन व शादी हाल में बड़ी जोर-शोर से बजाए जा रहे डीजे…

NewsMirchii- मप्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सबसे पहले आदेश में कोलाहल अधिनियम के तहत लाऊडस्पीकर, माईक व डीजे का उपयोग किये जाने तथा खुले में मीट व मटन के विक्रय पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किये थे। मुख्यमंत्री का फरमान जारी होते ही नगर में स्थानीय प्रशासन हरकत में आया ओर आनन-फानन में आदेश का पालन कराने के लिए बैठक लेकर सभी को ना केवल समझाईश दी गई, बल्कि कढ़ाई से पालन भी कराया। लेकिन सरकार के इस आदेश पर एक माह भी पूरी तरह अमल नहीं हो सका। अब सरकार के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ते हुए देखा जा सकता है। इस मामले में स्थानीय प्रशासन भी नियमों का पालन कराने सतर्क नहीं दिखाई दे रहा। जिस तरह से सरकार का आदेश हवा हो रहा हैं, उसे देखकर कहा जा सकता हैं कि सरकारी तंत्र भी इस मामले में लापरवाह बना हुआ है। दूसरी ओर शहर की सडक़ो पर यह चर्चा आम हैं कि स्थानीय प्रशासन पूर्व मुख्यमंत्री का आदेश माने या वर्तमान मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करें। दोनों ही मामलों में प्रशासनिक अधिकारी निर्णय लेने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहे हैं।


उल्लेखनीय हैं कि विधानसभा चुनाव के 03 दिसंबर को परिणाम घोषित होने के 10 दिन बाद 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ मोहन यादव द्वारा ली गई। उन्होंने कार्यभार संभालते ही अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में स्पष्ट निर्देश देते हुए आदेश जारी किये थेकि अब मप्र में कोलाहल अधिनियम के निर्धारित मापदंड के अनुसार ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा सकेगा। नियमों के मुताबिक शासन ने शोर की सीमा भी तय की हैं।

जिसके तहत आवासीय क्षेत्र में दिन में 50 व रात में 45 साइलेंट जोन में दिन में 50 व रात में 40, कामर्शियल में दिन में 65 व रात में 55 तथा औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 व रात में 70 डेसिबल की ध्वनि सीमा के तहत ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा सकेगा। लेकिन नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के कोलाहल अधिनियम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। दूसरी ओर खुले में मीट का विक्रय भी पूर्व की तरह किया जाने लगा है। इस ओर भी प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं।
मंदिर-मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर, सुनाई देने लगा डीजे का शोर-

पूर्व की तरह मंदिर व मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग देखने को मिल रहा है। दूसरी ओर शादी विवाह में डीजे का शोर एक बार फिर खलल डाल रहा हैं। सरकार के द्वारा तय की गए मापदंड के अनुसार डीजे नहीं बजाए जा रहे बल्कि इनका शोर पहले से अधिक सुनाई दे रहा हैं। अब वैवाहिक परिवार भी शादी-विवाह के लिए प्रशासन से बिना अनुमति ही डीजे का उपयोग कर रहे हैं। वहीं मस्जिदों व मंदिरों में भी लाउडस्पीकर का उपयोग किया जाने लगा हैं।
खुले में बिक रहा मीट, बेखबर प्रशासन-

नगर में मीट व मटन का बाजार अलग नहीं होने के कारण अभी भी रहवासी क्षेत्र के नजदीक ही दुकाने लगाकर इनका विक्रय खुले में किया जा रहा है। सरकार के निर्देश के बाद 15 दिनों के लिए इस पर प्रतिबंध तो लगाया गया, लेकिन अब यह प्रतिबंध बेअसर हो चुका है। नगर में आधा दर्जन से अधिक दुकानदारों के द्वारा मीट का खुलेआम विक्रय किया जा रहा है। गुरुवार को हाट बाजार होने के उपरांत साफ तौर पर मीट विक्रेताओं द्वारा खुले में मीट रखकर इसका विक्रय किया गया।
नप का पोर्टल बंद होने से नहीं मिल पा रहा लायसेंस-
स्थानीय प्रशासन द्वारा सभी मीट विक्रेताओं को कहा गया था कि अब कोई भी दुकानदार खुले में मीट का विक्रय नहीं कर सकेगा। उसे मीट का विक्रय करने के लिए शासन की गाइड लाईन के अनुसार सबसे पहले लायसेंस लेना होगा। बिना लायसेंस दुकान संचालित होती हैं तो कार्यवाही की जाएगी, लेकिन नप का पोर्टल बंद होने के कारण नप में लायसेंस के लिए दिए गए आवेदनों का निराकरण ही नहीं हो सका। जिससे मीट विक्रेता भी परेशान दिखाई दे रहे हैं।
मीट विक्रय के लिए होना चाहिए अलग बाजार-
नप द्वारा खुलेआम किये जा रहे मीट के विक्रय पर ना तो प्रतिबंध लगाया गया और ना ही मीट विक्रेताओं के लिए अलग से कोई बाजार बनाने का निर्णय लिया गया। ऐसी स्थिति में मीट विक्रेताओं के सामने संकट बना हुआ है। विक्रेताओं की मानें तो प्रशासन को इस मामले में ठोस निर्णय लेना चाहिए, जिससे कि बार-बार बनती गफलत की स्थिति से हमें निजात मिल सके।
