
जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य पर जिला टास्क फोर्स की बैठक आयोजित…
लू एवं हीट स्ट्रोक को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क…
-ग्रीष्म ऋतु में हीट वेव व स्ट्रोक को लेकर आमजन को जागरूक करने और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जिला पंचायत सभाकक्ष में कलेक्टर प्रवीण सिंह की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स सेल की बैठक हुई। जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हुई बैठक में कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम, सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के कारण लू एवं हीट स्ट्रोक, शीत लहर, अतिवृष्टि और सूखा जैसी परिस्थितियों और वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से व्यापक बचाव का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
कलेक्टर प्रवीण सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के अलावा जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों को शासन द्वारा जारी निर्देशानुसार आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री सिंह ने बदलते मौसम में फैलने वाली बीमारियों की समय पर सूचना प्राप्त करने एवं बचाव संबंधी कार्यवाही करने की बात कही। राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम विषय पर पीपीटी के माध्यम से सीएमओ डॉ सुधीर कुमार डेहरिया ने जानकारी दी कि ग्रीष्म ऋतु के दौरान भीषण गर्मी, सम्भावित हीट वेव (लू), हीट स्ट्रोक (तापघात) तथा वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारियों के लक्षणों, निदान, उपचार तथा बचाव को लेकर चिकित्सकों, पैरा मेडिकल स्टाफ व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री आशीष तिवारी, सहायक कलेक्टर श्री अर्पित गुप्ता, अपर कलेक्टर श्री वृंदावन सिंह, संयुक्त कलेक्टर सुश्री वंदना राजपूत, नितिन टाले सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
बदलते मौसम में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं…
गर्मी के मौसम में बच्चों से लेकर वृद्धजन को बेहोशी, मांसपेशियों में जकड़न, मिर्गी दौरा पड़ना, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी, चक्कर आना, सांस व दिल की धड़कन तेज होना, मिचली और उल्टी आना, नींद पूरी न होना आदि परेशानी हो सकती है। इससे बचाव के लिए प्राथमिक उपचार बेहद जरूरी है। इसके साथ ही लोगों को घर से निकलने से पहले पानी पीकर निकलना चाहिए और थोड़े-थोड़े समय पर पानी पीते रहना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती। शुद्ध व ताजा भोजन करने के अलावा भोजन बनने के तीन घंटे बाद बचे हुये भोजन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
