बेरोकटोक किया जा रहा, क्षेत्र मे मिट्टी का उत्खनन…

सूत्रो से खबर- राजनैतिक संरक्षण मे कंपनी कर रही, अवैध उत्खनन…

हल्का पटवारी ने मौके पर पहुंचकर बनाया पंचनामा, पटवारी के जाते ही शुरू हुआ उत्खनन

अमित शर्मा, लाड़कुई/ भेरूंदा

सड़क निर्माण करने वाली कंपनी द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखकर बेरोकटोक अपनी मनमानी करते हुए सड़क निर्माण के लिए मिट्टी का उत्खनन किया जा रहा है। मिट्टी का उत्खनन कर प्रशासन को राजस्व की चपत लगाई जा रही है। ग्रामीण द्वारा बताया कि ठेकेदार के हौसले इतने बुलन्द है कि शिकायत के बाद मौके पहुंचे हल्का पटवारी द्वारा पंचनामा तैयार किया गया। मौके से पटवारी के जाते ही कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उत्खनन का काम शुरू कर दिया। लेकिन फिर भी सम्बधित विभाग ठेकदार के खिलाफ कोई ठोस कार्य़वाही नही कर रहा है।
मामला भैरुंदा तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम श्यामपुर का है। जहां कंपनी द्वारा श्यामपुर से महागांव तक सड़क का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कम्पनी द्वारा सभी नियमों को दरकिनार कर किसान के खेत मे तालाब बनाने के बहाने मिट्टी का उत्खनन कर सड़क निर्माण में मिट्टी डाली जा रही है। जिसको लेकर निर्माण कंपनी द्वारा पोकलेन मशीन से उत्खनन किया जा रहा है। परन्तु इसके बाद भी सम्बधित विभाग के अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे है।

बेरोकटोक किया जा रहा, मिट्टी का उत्खनन
कहते है, “जब सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का” यह बात इस अवैध खनन पर बिल्कुल सटीक बैठती है। क्योकिं कंपनी को प्रशासन का जरा भी खौफ नही है। यही कारण हैकि सड़क निर्माण कम्पनी की यहां मनमानी देखी जा रही है। विगत दिनों ग्रामीणो द्वारा प्रशासन को इस अवैध खनन की सूचना दी गई। सूचना के बाद हल्का पटवारी मौके पर पहुंचे, ओर उत्खनन का पंचनामा भी बनाया गया, जिसमें उल्लेख किया गया कि अवैधानिक रूप से सम्बधित कम्पनी द्वारा उत्खनन किया जा रहा है। पंचनामा में यह बताया गया कि किसान द्वारा बलराम तालाब का निर्माण करवाया जा रहा है। जबकि जानकारी के मुताबित इस तालाब कि कोई परमिशन नही है।

जिम्मेदार आखिर क्यों है, मौन
अवैध मिट्टी खनन को लेकर कई प्रश्न खड़े होते है कि संबंधित विभाग के जिम्मेदार आखिर इस अवैध खनन कि ओर क्यों ध्यान नहीं दे रहे हैं या फिर प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ से मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है। जबकि शिकायत के बाद जरूर हल्का पटवारी मौके पर पहुंचे। लेकिन सिर्फ कार्य़वाही के नाम पर खानापूर्ति की गई। मौके से जैसे ही पटवारी हटे इसके उपरांत फिर अवैध खनन का खेल शुरू हो गया।

राजनीतिक संरक्षण प्राप्त
सूत्रों की माने तो सड़क निर्माण व अवैध उत्खनन करने वाली कम्पनी को कही ना कही राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। राजनैतिक संरक्षण के चलते कंपनी को प्रशासन का कोई डर नही है और प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए, अवैध रूप से मिट्टी का उत्खनन किया जा रहा है।

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