“मैं” और “मेरा” का क्षय ही मोक्ष है ~ प्रेम परमानंद महाराज

अमित शर्मा, लाड़कुई/भेरूंदा

पान गुराडिया (रेहटी) में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ से प्रेम परमानंद महाराज ने कहा कि “मैं” और “मेरा” का क्षय ही मोक्ष है। व्यक्ति को विनाशी देह से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति का संकल्प लेना चाहिए। कुरुक्षेत्र केवल युद्ध की ही नही बल्कि प्रेम की भी धरती है क्योंकि सौ वर्षो के लंबे अंतराल के बाद वहां कृष्ण और गोपियों का मिलन हुआ।
सुदामा प्रसंग में ब्राह्मणों की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों के शाप से ही यदुवंश का विनाश हुआ, इसलिए कृष्ण से यदि प्रेम करते हैं तो ब्राह्मणों से द्वेष नहीं रखना चाहिए।
भागवत की कथा जीव मात्र के लिए कल्याण कारी है यह मोक्ष प्रदान करती है। अकाल मृत्यु के शाप से ग्रस्त परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति भागवत के कारण हुई।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त जन उपस्थित थे, यह जानकारी आयोजक ओमप्रकाश शर्मा एवं हेमंत शर्मा ने प्रदान की।

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