– अमित शर्मा, लाड़कुई/भेरूंदा
वरिष्ठजनों के लिये भरण-पोषण अधिनियम-2007 सहायक बन कर सामने आया है। जिस प्रकार उम्र बढ़ने पर सहारे के लिये लाठी की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार यह अधिनियम वरिष्ठजनों के लिये सहारे की लाठी बन कर उभरा है।
वरिष्ठ अभिभावकों की कठिनाइयाँ दूर करना उद्देश्य-
अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठजनों और अभिभावकों को समर्थन प्रदान करने वाली व्यवस्था की रचना करना है , जिससे वे एक विशेष ट्रिब्यूनल (अधिकरण) के समक्ष निर्धारित 90 दिन की समय-सीमा के अंदर भरण-पोषण के अधिकार को सुलभता और शीघ्रता से प्राप्त कर सकें।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम-2007 प्रदेश में 23 अगस्त, 2008 से लागू है। इसमें वे अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो अपनी आय अथवा सम्पत्ति द्वारा होने वाली आय से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, अपने वयस्क बच्चों अथवा संबंधियों से भरण-पोषण प्राप्त करने के लिये आवेदन कर सकते हैं। भरण-पोषण में समुचित भोजन, आश्रय, वस्त्र, चिकित्सा एवं मनोरंजन सुविधाएँ शामिल हैं।
दण्ड का है प्रावधान-
भरण-पोषण ट्रिब्यूनल, वरिष्ठजनों का मासिक भरण-पोषण अधिकतम 10 हजार रूपये प्रतिमाह दिला सकता है। संतान वरिष्ठ परिजन की उपेक्षा अथवा परित्याग एक संज्ञेय अपराध है। इसके लिये पाँच हजार जुर्माना या तीन महीने की सजा या दोनों हो सकते हैं। अधिनियम में सहायता पाने के लिये वृद्धजन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के समक्ष आवेदन कर सकते हैं।