
भैरुंदा- होलिका दहन बुराई पर भक्ति की जीत का पर्व है। होलिका दहन हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार होलिका 13 मार्च गुरुवार के दिन किया जाएगा। इसको लेकर हिंदू उत्सव समिति व विभिन्न मोहल्ला समितियों के द्वारा तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। लगभग एक माह पूर्व होली का डांडा चौक चौराहों पर समितियों के द्वारा पूजा अर्चना के बाद गाड़ा जा चुका हैं। वही आज शाम 6 बजे के बाद इन स्थानों को रंगोलियों से सजाया जायेगा और लकड़ी व कंडे रखकर पूजा अर्चना की जाएगी। वही देर रात तक पूजा अर्चना का दौर चलेगा इसके बाद दिनांक 14 को अल सुबह ब्रह्म मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाएगा। ब्राह्मणों के अनुसार होलिका दहन के मौके पर गज केसरी राजयोग का निर्माण भी हो रहा हैं, ऐसे में कई लोगों को इसका लाभ मिलेगा। दूसरी ओर भद्राकाल के बाद होलिका का दहन होगा और चंद्रग्रहण का कोई भी असर यहां नहीं दिखेगा।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार 13 मार्च को पूर्णिमा सुबह 10 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, इसी दिन भद्राकाल भी हैं। जो 10 बजकर 36 मिनट से रात 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके बाद होलिका का दहन किया जा सकता हैं।
इसी दिन चंद्रग्रहण भी हैं, लेकिन इसका असर भारत में दिखाई नहीं देगा। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का समापन भी हो जायेगा। जिसके चलतें कई राशियों पर राहु व केतु की दशा व दिशा भी बदलेगी। ब्राह्मणों के मुताबिक होलिका दहन में अपने दुःखों व दरिद्रता, समस्या एवं पीढ़ा को दूर करने के लिए अपने ऊपर व घर से नारियल को उतारकर डालने से सभी पीड़ा व दुःखों का नाश होता हैं। होलिका की रात को अपने घर व स्वंय पर तिलक करने से नजर व दोष समाप्त हो जाते हैं।
