
भैरूंदा मे 16 दिवसीय लोकप्रिय पर्व गणगौर महोत्सव मंगलवार को गणगौर विसर्जन के साथ संपन्न हुआ। इससे पहले मंगलवार की सुबह से ही महिलाओं ने सज-धज कर पूरे विधि-विधान के साथ ईसर और गौरा की पूजा की।

भैरूंदा- ग्राम लाड़कुई में 16 दिवसीय लोकप्रिय पर्व गणगौर महोत्सव मंगलवार को गणगौर विसर्जन के साथ संपन्न हो गया। इससे पहले मंगलवार की सुबह से ही महिलाओं ने सज-धज कर पूरे विधि-विधान के साथ ईसर और गौरा की पूजा की, फिर पूजा-अर्चना के बाद व्रत खाेला, बड़ों का आशीर्वाद लिया। शाम को गणगौर को पानी पिला कर विसर्जन किया। उत्सव को लेकर नवविवाहितों में खासा उत्साह देखा गया। पहली बार व्रत करने वाली नवविवाहिताओं ने पूरे सोलह शृंगार के साथ अपने 16 दिवसीय पर्व को पूरा किया।
माधुरी सोनी ने बताया कि मेरी शादी इसी वर्ष 18 मार्च को हुई है ओर यह मेरा पहला गणगौर है, जिसे लेकर बहुत उमंग है।
बड़ी संख्या में महिलाएं श्री रामजानकी मंदिर पहुंची –
उत्सव को लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं गणगौर पूजने और पूजित कुंडों के विसर्जन के लिए बड़ा बाजार स्थित श्री रामजानकी मंदिर पहुंची, यहां महिलाओं ने महोत्सव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान गौर ये गणगौर माता खोल या किवाड़ी… से श्री रामजानकी मंदिर परिसर गूंजता रहा। श्री रामजानकी मंदिर परिसर में सुबह 6 बजे से गणगौर पूजा शुरू हाे गयी थी, जो अपराह्न दो बजे तक चलती रही। गणगौर मिलन एवं विसर्जन के लिए अपराह्न 03 बजे से महिलाओं के आने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह शाम 6.30 बजे तक चलता रहा। मंदिर परिसर में गणगौर मिलन एवं विधुत पावर स्थित बावड़ी मे गणगौर विसर्जन की व्यवस्था महिला मंडल के द्वारा की गई थी।
विधुत पावर स्थित बावड़ी में किया गया, गणगौर प्रतिमा का विसर्जन –
मीना खंडेलवाल ने कहा कि इस पर्व की शुरुआत होली दहन के दूसरे दिन से शुरू हो जाती है, इस दिन से लगातार 16 दिनों तक कुंवारी लड़कियां एवं नवविवाहिताें द्वारा ईशर-गोरा (शिव पार्वती) की पूजा की जाती है। आज सभी महिलाओं ने परंपरागत पूरे सौलह श्रृगार कर पूरे विधि-विधान से गणगौर का पूजन किया। गणगौर को पारंपरिक व्यंजनों में मिठाई, फल, हलवा, पूड़ी और गुना चढ़ाया तथा अनुष्ठान के साथ उद्यापन किया। गणगौर की मंत्रमुग्ध लोकगीतों के साथ नाचते-गाते तथा विधुत पावर स्थित बावड़ी में गणगौर की प्रतिमा के विसर्जन के साथ 16 दिनों से चल रहा गणगौर महोत्सव का सम्पन्न हुआ।
