सड़क दुर्घटनाओं में जीवन बचाने के लिए सरकार का बड़ा कदम है, राह-वीर योजना…

अमित शर्मा, लाड़कुई/भैरूंदा
भोपाल– देश में सड़क दुर्घटनाओं में हर वर्ष कई लोगों की जान चली जाती है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि घायल को दुर्घटना के पहले “गोल्डन आवर” यानी शुरुआती एक घंटे में चिकित्सा मिल जाए, तो आधे से अधिक मौतें रोकी जा सकती हैं। इसी उद्देश्य को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने राह-वीर योजना (पूर्व में गुड समेरिटन स्कीम) को लागू किया है, ताकि आम नागरिक बिना किसी डर या कानूनी झंझट के दुर्घटना पीड़ितों की मदद कर सकें।

राह-वीर योजना सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल है, जिसके अंतर्गत किसी गंभीर सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाने वाले ‘राह-वीर’ को 25,000 रुपये का पुरुस्कार और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है। यह योजना दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने वाले आम लोगों को सम्मान, सुरक्षा और प्रोत्साहन देने का एक बड़ा प्रयास है।

सरकार का मानना है कि दुर्घटना स्थल पर मौजूद लोग यदि आगे आएं तो अनगिनत जीवन बच सकते हैं। किन्तु अब तक लोग पुलिस पूछताछ, न्यायिक प्रक्रिया, अस्पतालों में रोक लिए जाने जैसी आशंकाओं के कारण घायलों की मदद करने से हिचकिचाते थे। इसी भय को समाप्त करने के लिए मोटरयान (संशोधन) अधिनियम 2019 की धारा 134क के तहत राह-वीरों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। अब कोई भी व्यक्ति यदि सद्भावना से घायल की मदद करता है, तो उस पर किसी भी प्रकार की नागरिक या आपराधिक कार्रवाई नहीं होगी और न ही अस्पताल या पुलिस उसे अनावश्यक रूप से रोके रख सकती है।

योजना के अंतर्गत पात्र वही व्यक्ति है, जिसने मोटर वाहन से जुड़ी किसी गंभीर दुर्घटना में पीड़ित को समय रहते प्राथमिक सहायता प्रदान की हो और गोल्डन आवर के भीतर अस्पताल पहुँचाकर उसकी जान बचाई हो। यदि एक ही घटना में एक से अधिक राह-वीर शामिल हों, तो पुरुस्कार राशि 25,000 रुपये को बराबर-बराबर बांटा जाता है। वहीं यदि एक राह-वीर ने एक से अधिक लोगों की जान बचाई है, तो हर पीड़ित के लिए 25,000 रुपये तक की मदद देय होगी, अधिकतम सीमा एक व्यक्ति के लिए 25,000 रुपये प्रतिघटना है।

योजना की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला स्तर पर मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में मूल्यांकन समिति गठित की गई है, जो अस्पताल एवं पुलिस द्वारा भेजी गई सूचना के आधार पर पात्रता की पुष्टि करती है। इसके बाद पुरुस्कार राशि सीधे राह-वीर के बैंक खाते में PFMS के माध्यम से ऑनलाइन जमा की जाती है। एक व्यक्ति को एक वर्ष में अधिकतम पाँच बार यह सम्मान मिल सकता है। इसके साथ ही हर वर्ष सर्वोच्च 10 राह-वीरों को राष्ट्रीय स्तर पर 1 लाख रुपये तथा सम्मान-पत्र प्रदान किया जाता है।

योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि राह-वीर अपनी मर्जी से चाहे तो अपनी पहचान गुप्त रख सकता है। अस्पताल या पुलिस को उसकी जानकारी सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं होगी। यदि वह पूछताछ देना चाहे तो यह उसके घर पर या वीडियो कॉल के माध्यम से भी संभव है, और उसे गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार ने सभी अस्पतालों में हिंदी, अंग्रेज़ी एवं स्थानीय भाषा में राह-वीरों के अधिकारों को प्रदर्शित करना अनिवार्य किया है। मंत्रालय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि “दुर्घटना में घायल की मदद करना मानवता है और सरकार हर राह-वीर के साथ खड़ी है।”

भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में राह-वीर योजना एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने में सहायक है, बल्कि समाज में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ाती है। यह योजना 15 वें वित्त आयोग की अवधि अर्थात 31 मार्च 2026 तक चालू रहेगी और सरकार इसे और प्रभावी बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।

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