रेहटी वन परिक्षेत्र में हुई जांच की एक दल ने सौपी रिपोर्ट, दूसरे दल की रिपोर्ट आना शेष…
– अमित शर्मा, लाड़कुई/भेरूंदा

वनों की अवैध कटाई के मामले मे एक बार फिर अपनी गेंद दूसरे के पाले में डालने की स्थिति निर्मित हो गई है। वन मंडलाधिकारी सीहोर के द्वारा अवैध कटाई के मामले में रेहटी, लाड़कुई क्षेत्र के जंगलों की जांच के लिए दो दल का गठन किया था। एक दल ने डीएफओ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उसमें बताया गया है कि वनों की कटाई वन विभाग के जंगलों में नहीं, बल्कि वन विकास निगम के जंगलों में हुई है। जांच से यह तो स्पष्ट हुआ कि वनों की अवैध कटाई जोरों पर चल रही है। लेकिन वन विभाग के जंगलों में वनों की कटाई को सिरे से नकार देना कहीं ना कहीं जांच में रस्म अदायगी के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि इस मामले में एक दल की रिपोर्ट आना शेष है उसके बाद ही स्पष्ट हो सकेगा की वनों की अवैध कटाई किस पैमाने पर हुई है। जांच दल ने वन परिक्षेत्र की सीमा में संचालित फर्नीचर मार्ट एवं रेहटी नगर में बैखोफ तरीके से चल रही आरा मशीनों की जांच को लेकर भी कोई विशेष उल्लेख नहीं किया है। ऐसी स्थिति में जांच दल पर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
उल्लेखनीय की मीडिया के द्वारा लाड़कुई, रेहटी, बुधनी वन परिक्षेत्र में व्यापक पैमाने पर हो रही, वनों की अवैध कटाई का मुद्दा उठाया था। इस मामले में डीएफओ मंगलसिंह डाबर के द्वारा लाड़कुई, रेहटी के जंगलों में वन कटाई को लेकर जांच दल का गठन किया था। इस मामले में बुधनी वन परिक्षेत्र को लेकर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया। जबकि वनों की अवैध कटाई इस क्षेत्र में भी व्यापक पैमाने पर देखने को मिली है।
वन विभाग में कम, वन विकास निगम में अधिक कटाई-
जांच दल अधिकारी बुधनी एसडीओ सुकृति ओसवाल द्वारा जिला वन मंडलाधिकारी सीहोर को जो जांच रिपोर्ट सौपी गई है। उसमें इस बात का उल्लेख है कि रेहटी वन परिक्षेत्र में वनों की कटाई सामान्य वन मंडल में कम देखने को मिली है। जब कि वन विकास निगम को जिन जंगलों का आधिपत्य सौंपा गया है, वहां पर सबसे अधिक कटाई हुई है। इस संबंध में डीएफओ मंगलसिंह डाबर ने बताया कि निगम के जंगलों में हुई, वनों की अवैध कटाई को लेकर निगम के अधिकारियों से पत्राचार किया गया है।
फर्नीचर मार्ट व आरा मशीनों की जांच को लेकर नहीं लिया संज्ञान…
अधिकारियों के द्वारा वन परिक्षेत्र की सीमा से सटे क्षेत्र में फर्नीचर मार्ट के व्यापारिक लाइसेंस व आरा मशीनों की जांच को लेकर कोई विशेष संज्ञान नहीं लिया। जिसका नतीजा यह है कि एक सप्ताह तक अपना काम पूरी तरह बंद करने के बाद अब फर्नीचर मार्ट व आरा मशीन संचालकों ने एक बार फिर लकड़ियों के अवैध कारोबार को करना शुरू कर दिया है। इस मामले में आधिकारिक स्तर पर क्लीन चिट मिलने के बाद ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। चकल्दी वन परिक्षेत्र में अभी भी वनों की कटाई और फर्नीचर मार्ट में अवैध लड़कियों का कारोबार तेजी के साथ शुरू हो चुका है।
वन विकास निगम को लिखी है, चिट्ठी…

डीएफओ मंगलसिंह डाबर ने बताया कि मेरे पास जो जांच रिपोर्ट आई है, उसमें सामान्य वन मंडल नहीं, बल्कि निगम के जंगलों में कटाई होने की जानकारी है। इसके लिए मैंने निगम के अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। दूसरे दल की रिपोर्ट आना शेष है। फर्नीचर के व्यापारियों को लकड़ी खरीद कर लेकर आने के बाद उसका निर्माण करने की अनुमति है। टीपी जारी करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। अब यदि बाहर से कोई भी लकड़ी व्यापारी या आरा मशीन संचालक के द्वारा खरीद कर लाई जाती है, तो उसकी सूचना पहले रेंजर को देना होगी और गाड़ी अनलोडिंग करने से पहले बताना होगा, कि यह लकड़ी हम लेकर आए हैं। इसके लिए तीनों वन परिक्षेत्र में दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
